रोम्या रोलॉ ने कहीं लिखा है, "हमारा व्यवहार ही है जो हमारी छवि औरों के मन में बनाता है!" यह सच है कि हमारे शब्द ही हैं जो हमें औरों के करीब लाते हैं और हमारे शब्द ही हैं जो हमें औरों से दूर भी ले जाते हैं!हमारी सोच ही हमारे शब्द बनती है और हमारा आचरण ही हमारा व्यवहार बनता है! --मुकेश त्यागी
"आखिर हम किताबें क्यों पढ़ते हैं? कुछ सीखने के लिए, दिल बहलाने के लिए, अपने मानसिक संसार के लिए...सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ पाने के लिए!" ---जवाहरलाल नेहरू
ज्ञानं प्रधानं न तु कर्महीनं कर्म प्रधानं न तु बुद्धिहीनम् (भागवत 4/24/75) ज्ञान प्रधान है परंतु कर्महीन नहीं और कर्म भी प्रधान है परंतु बुद्धिहीन नहीं!